Friday, July 29, 2011

रफ़ी साहब की पुण्य तिथि पर विशेष "मुस्लिम कलाकारों नें रचा भजन "


संगीतकार नौशाद एवम रफ़ी साहब

शक़ील बदायुंनी
 सादर अभिवादन मैं सच्चिदानंद शेकटकर अपने ब्लाग लोकसंचार को लेकर.जबलपुर जिसे विनोबा जी ने 
"संस्कारधानी" का नाम दिया उसी भूमि से सम्पर्क,सम्बंध,संवाद,और संचार, के संकल्पों के साथ आपके  समक्ष उपस्थित हूं. आज़ की पोस्ट मै स्वर्गीय मो. रफ़ी साहब को समर्पित करते हुए कला के ज़रिये गंगा-जमुनी संस्कृति की याद दिलाना चाहता हूं , आप को याद होगा फ़िल्म बैजू-बावरा का ये भजन जिसके गीतकार हैं शक़ील बदायुंनी, संगीत से मशहूर संगीतकार नौशाद ने संवारा .. आप जानते ही हैं कि इसे सुर देने वाले गंधर्व का नाम जी हां मो. रफ़ी .....साहब ने.राग मालकौस  में गाया. यह भजन हृदय की गहराईयों तक उतर जाता है. 
     बैजू-बावरा के इस भजन को सुनिये इधर क्लिक कीजिये "मन तरपत हरि " इस भजन में हिंदी शब्दों के अलावा किसी भी अन्य भाषा का शब्द प्रयुक्त नहीं हुआ. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार है
                                               आपका ही 
                                            सच्चिदानंद शेकटकर